राजनांदगांव। डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम बंजारी एवं फत्तेगंज की कहानी उन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मिसाल है, जहां जल जीवन मिशन के माध्यम से ज...
राजनांदगांव। डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम बंजारी एवं फत्तेगंज की कहानी उन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मिसाल है, जहां जल जीवन मिशन के माध्यम से जनसामान्य के जीवन स्तर में सुधार आया है, बल्कि ग्रामीणों में नई उम्मीद भी जगी है। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत चारभाठा के आश्रित ग्राम बंजारी में 39 परिवार एवं ग्राम फत्तेगंज में 34 परिवार निवास करते हैं। इस गांव के ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य साधन कृषि और मजदूरी है। पूर्व में इन गांव में पानी की काफी समस्या थी और पेयजल का एकमात्र स्रोत हैंडपंप था। ग्राम के सरपंच मनोज कोर्राम ने बताया कि ग्राम बंजारी और फत्तेगंज के ग्रामीण लम्बे समय से पेयजल के लिए संघर्ष कर रहे थे। हैंडपम्पों से पानी निकालने में काफी दिक्कते आती थी। गर्मियों के दिनों में जब जलस्तर नीचे चला जाता था, तब पानी निकलना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता था। कई बार पानी के लिए ग्रामीणों को लंबी लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। इसके साथ ही ग्रामीणों को दूर के क्षेत्रों से पानी लाना पड़ता था। जिससे उनका समय तो बर्बाद होता ही था, मेहनत भी काफी लगती थी। पानी की कमी का सबसे ज्यादा प्रभाव गांव की महिलाओं पर पड़ता था। जिनके दिन का एक बड़ा हिस्सा पानी की व्यवस्था में बीत जाता था।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तथा उप मुख्यमंत्री एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री अरूण साव की पहल पर जल जीवन मिशन के तहत ग्राम बंजारी में 950 मीटर तथा ग्राम फत्तेगंज में 750 मीटर की पाइप लाइन बिछाई गयी है तथा सोलर के माध्यम से 24 घंटे पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है। अब ग्राम के प्रत्येक घर में नल के माध्यम से पेयजल पहुंचाया जा रहा है। जिससे ग्रामीणों की दिनचर्या में बहुत बदलाव आया है। जो समय पहले पानी की व्यवस्था में लगता था, अब वह अन्य कार्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है। इससे ग्रामीणों की उत्पादकता भी बढ़ी है और जीवन स्तर में सुधार भी हुआ है। ग्राम की निवासी निर्मला साहू एवं अंजू सिन्हा ने बताया कि पहले उनका समय दिन भर पानी जुटाने में लग जाता था एवं अपने बच्चों की देखभाल में भी पूर्ण समय नहीं दे पाती थी। जल जीवन मिशन अंतर्गत घरों में नल की सुविधा मिलने से अब उनके बच्चों को भी पढ़ाई के लिए अधिक समय मिलने लगा है और बच्चों के शैक्षणिक स्तर में भी सुधार हुआ है।
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