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देव,गुरुऔर धर्म के प्रति श्रद्धा है सम्यक दर्शन : मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी

रायपुर। श्री संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर रायपुर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचनमाला जारी है। सोमवार को महामंगलकारी शाश्वत ओली जी...


रायपुर। श्री संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर रायपुर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचनमाला जारी है। सोमवार को महामंगलकारी शाश्वत ओली जी की आराधना का छठवां दिन रहा। तपस्वी मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा ने सम्यक दर्शन प्राप्ति के बारे में धर्मसभा में बताया। मुनिश्री ने कहा कि सिद्ध चक्र पूजन के अंदर सम्यक दर्शन की व्याख्या की गई है कि देव,गुरु और धर्म के प्रति श्रद्धा सम्यक दर्शन है। ऐसे ही अलग-अलग शास्त्रों में कहा गया है कि छह जीव निकाय के ऊपर श्रद्धा सम्यक दर्शन है। सम्यक दर्शन आने के बाद जीव के जीवन में परिवर्तन होता है।

मुनिश्री ने कहा कि सम्यक दर्शन आने के बाद जीव की दृष्टि बदल जाती है। दृष्टि ऐसी होती है कि देव,गुरु व धर्म की कृपा से सब अच्छा है। देव,गुरु व धर्म की कृपा से धर्म की आराधना होती है व कर्म का क्षय होता है। जीवन के अंदर जब दृष्टिकोण बदलता है। जब देव, गुरु और धर्म आपके जीवन के अंदर केंद्र स्थान में आते हैं तो किसी भी परिस्थिति के अंदर एक ही वाक्य निकलता है देव,गुरु पसाय इसे ही कहते हैं सम्यक दर्शन।

मुनिश्री ने कहा कि सम्यक दर्शन प्राप्ति के बाद जो अनादि काल का जीव का संसार था,जो अनंतकाल तक चलने वाला था, वह संसार यदि समुद्र जितना बड़ा था तो वह सिमट कर एक अंजुली पानी जितना रह जाता है। जीव को संसार के अंदर जब सम्यक दर्शन की प्राप्ति होती है तब सारा का सारा क्रेडिट देव,गुरु धर्म के खाते में जाता है और जो बुरा हो रहा वह कर्म के खाते में जाता है।

मुनिश्री ने कहा कि  सम्यक दर्शन प्राप्ति के 67 गुण हैं। आज के दिन इसी की आराधना करनी है। आज के दिन सम्यक दर्शन के गुण को समझना, भाव को समझना, अर्थ को समझना चाहिए। किसी की निंदा नहीं करना,धर्म के फल की इच्छा नहीं करना,धर्म के फल की शंका नहीं करना यह सम्यक दर्शन के गुण हैं।

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