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कश्मीर में अमित शाह का बड़ा दांव, वैली की 28 सीटों पर नहीं उतारे कैंडिडेट, जानिए बीजेपी ने किसे दिया 'वॉकओवर'

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार यानी आज नामांकन का दौर खत्म हो जाएगा। नए केंद्रशासित प्रदेश में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्...

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार यानी आज नामांकन का दौर खत्म हो जाएगा। नए केंद्रशासित प्रदेश में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन है, जबकि बीजेपी पहली बार बिना किसी सहयोगी दल के चुनाव मैदान में उतरी है। जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी सिर्फ 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने जम्मू की सभी 43 सीटों पर कैंडिडेट उतारे हैं, जबकि 47 सीटों वाली कश्मीर घाटी में सिर्फ 19 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बुधवार शाम को आधिकारिक विज्ञप्ति में पार्टी ने कहा कि वह अभी कश्मीर के लिए किसी अन्य उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं करेगी। माना जा रहा है कि बीजेपी ने रणनीति के तहत जम्मू और कश्मीर में अलग-अलग दांव खेला है। सवाल उठ रहे हैं कि कश्मीर वैली की 28 सीटों को बीजेपी ने क्यों छोड़ दिया? पार्टी सूत्र बताते हैं कि यह गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी नेता राम माधव की चुनावी रणनीति है।

कश्मीर घाटी में 28 सीटें छोड़ने से नाराज हैं पुराने समर्थक

पार्टी के इस फैसले के ऐसे पुराने कार्यकर्ता नाराज है, जो कठिन परिस्थितियों में भी बीजेपी के साथ रहे। चुनाव नहीं लड़ने से ऐसे नेता दूसरी पार्टियों की शरण में जा सकते हैं। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने घाटी की तीन सीटों पर कैंडिडेट नहीं उतारे थे, मगर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस फैसले पर खेद जताया था। उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान 90 सीटों पर लड़ने का वादा किया था। इसके बाद से उम्मीद की जा रही है कि भले ही बीजेपी को कश्मीर में जीत नहीं मिलती है, मगर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने और देश को संदेश देने के लिए उम्मीदवार उतार सकती है। मगर पार्टी ने अपना इरादा बदल दिया। बीजेपी दक्षिण कश्मीर की 16 विधानसभा सीटों से आठ, मध्य कश्मीर की 15 सीटों से छह और उत्तर कश्मीर की 16 सीटों से पांच उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही बीजेपी ने बदली रणनीति

पार्टी सूत्रों का कहना है कि कश्मीर घाटी में बीजेपी की जीत चमत्कार से ही हो सकती है। पार्टी के पास ऐसे उम्मीदवार भी नहीं हैं, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और हुर्रियत समर्थित निर्दलियों में अपनी जमानत बचा सकें। पार्टी ने विधानसभा चुनाव की घोषणा के समय ही रणनीति बदल दी थी। बीजेपी अब पूरी तरह जम्मू की 43 विधानसभा सीटों पर फोकस कर रही है। अगर चुनाव के बाद 35 से अधिक सीटें मिलती हैं तो कश्मीर से जीतने वाले निर्दलियों की मदद से वह सरकार बना सकती है। भारतीय जनता पार्टी बची हुई 28 सीटों पर ऐसे निर्दलीय प्रत्याशी और छोटे दलों को समर्थन देगी, जिनके जीतने की उम्मीद हो सकती है। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग से भाजपा उम्मीदवार रफीक वानी ने खुले तौर पर दावा किया कि नए क्षेत्रीय राजनीतिक दल और निर्दलीय हमारे हैं। उन्होंने अपने भाषण में इंजीनियर राशिद, सज्जाद लोन, अल्ताफ बुखारी और गुलाम नबी आजाद को अपना बताया था। विपक्ष का आरोप है कि कश्मीर की कई सीटों पर बीजेपी के इशारे पर भारी तादाद में निर्दलियों ने पर्चा भरा है।

निर्दलीय और राशिद इंजीनियर करेंगे पीडीपी-एनसी के नाक में दम

बता दें कि केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में परिसीमन हुआ। वहां कुल 114 सीटें हैं, मगर चुनाव 90 सीटों पर हो रहे हैं। 24 सीटें पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से लिए रिजर्व रखी गई है। इस हिसाब से जम्मू-कश्मीर में बहुमत का आंकड़ा 45 है। कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन 85 सीटों पर साथ चुनाव लड़ रही है, जबकि कश्मीर की पांच सीटों पर फ्रेंडली फाइट हो रही है। नेशनल कॉन्फ्रेंस 51 और कांग्रेस 32 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जम्मू रीजन में बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस और एनसीपी से है। कश्मीर के सियासी हलकों में इंजीनियर राशिद को जमानत मिलने के बाद से चर्चा गरम है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का आरोप है कि आवामी इत्तेहाद पार्टी इस चुनाव में बीजेपी के लिए काम कर रही है। जानकार भी मानते हैं कि राशिद ने जिस तरह मुद्दे उठा रहे हैं, उसका नुकसान पीडीपी-एनसी को हो सकता है।

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