नई दिल्ली। मोदी सरकार के कैबिनेट ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार के 100 दिन ...
नई दिल्ली। मोदी सरकार के कैबिनेट ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार के 100 दिन होने पर की गई एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा था कि इस सरकार में एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू किया जाएगा। यह पिछले तीन लोकसभा चुनावों में बीजेपी के घोषणापत्र का वादा रहा है। लेकिन यह कैसे लागू होगा, कब होगा और क्यों ऐसा हो रहा है? ऐसे कई सवाल हैं। कांग्रेस ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को संविधान के खिलाफ बताया है।
पिछले साल मोदी सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर निगमों के चुनाव एक साथ कराने के तरीके सुझाने के लिए कोविंद कमेटी गठित की थी।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस कमेटी ने लोकसभा चुनाव से पहले इस साल मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें अलग-अलग संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की गई थी। इस कमेटी ने सिफ़ारिश की थी कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं और इसके 100 दिनों के अंदर स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं।
बीजेपी बिल को कैसे कराएगी पास?
बीजेपी के पास लोकसभा में 240 सीटें हैं। बहुमत के लिए उसे टीडीपी, जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) जैसे सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ता है। अब ऐसे भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि एक साथ चुनाव कराने की बीजेपी की योजना उसके सहयोगी दलों का समर्थन मिलेगा या नहीं? लेकिन भाजपा खेमे का कहना है कि ये सभी सहयोगी इसके लिए तैयार हैं।
अगर 2029 में एक साथ हुए चुनाव?
अगर 2029 में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ होना है तो इसके लिए प्रक्रिया अभी से शुरू हो जानी चाहिए। अगर इससे जुड़ी सारी पेचीदगी को 2029 से पहले सुलझा लिया जाता है और यह करने के लिए देश पूरी तरह तैयार दिखाई देता है तो कई राज्य विधानसभाओं को उनके पांच साल के कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाएगा। यानी उनका कार्यकाल पूरा होने से काफी पहले चुनाव के लिए राज्य को तैयार होना होगा।
पिछले साल जिन 10 राज्यों में नई सरकारें बनीं उनमें 2028 में फिर से चुनाव होंगे और नई सरकारें लगभग एक साल या उससे भी कम समय तक सत्ता में रहेंगी। ये राज्य हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, कर्नाटक, तेलंगाना, मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान हैं।
उत्तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात में चुनाव 2027 में होने हैं यानी इन राज्यों में 2027 में बनने वाली सरकारें दो साल या उससे कम समय तक चलेंगी। इसी तरह पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम और केरल में चुनाव 2026 में होने हैं। यहां ऐसी सरकारें होंगी तीन साल तक चल पाएंगी।
केवल अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा में जहां इस साल चुनाव हो चुके हैं या हो रहे हैं पांच साल तक एक ही सरकार चल सकती है।
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