नई दिल्ली 11 march 2024। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है। साथ ही कोर्ट ने जानकारी ...
नई दिल्ली 11 march 2024। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है। साथ ही कोर्ट ने जानकारी देने के लिए समय विस्तार की मांग कर रही याचिका को भी खारिज कर दिया है। पांच सदस्यीय बेंच का कहना है कि एसबीआई मंगलवार तक इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी भारत निर्वाचन दे। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को शुक्रवार शाम 5 बजे तक जानकारियां प्रकाशित करने के भी आदेश दिए। साथ ही अदालत ने बैंक को चेतावनी भी दी है कि अगर कल तक जानकारी नहीं दी गई, तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। ECI को देने के लिए SBI ने 30 जून तक का समय मांगा था। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं।
बैंक तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया है कि बैंक को जानकारी जुटाने के लिए और समय की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए मामले की संवेदनशीलता का हवाला दिया और पूरी प्रक्रिया में नाम नहीं होने की बात कही। उन्होंने बताया कि डोनर की जानकारी को बैंक की तय शाखाओं में सील बंद लिफाफे में रखा जाता है।
उन्होंने कहा, 'हमें आदेश का पालन करने के लिए थोड़ा और समय चाहिए। हम जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हहैं और हमें इसके लिए पूरी प्रक्रिया को रिवर्स करना पड़ रहा है। एक बैंक के तौर पर हमें इस प्रक्रिया को गुप्त रखने के लिए कहा गया था।'
इसपर सीजेआई चंद्रचूड़ ने एसबीआई पर सवाल उठाए और कहा, 'आप कह रहे हैं कि जानकारियों को सीलबंद लिफाफे में रखा गया और मुंबई ब्रांच में जमा कराया गया है। हमारे निर्देश जानकारियों का मिलान करने के लिए नहीं थे। हम चाहते थे कि SBI दानदाताओं की जानकारी सामने रखे। आप आदेश का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं?'
30 जून तक का समय मांगने पर शीर्ष न्यायालय ने एसबीआई को फटकार लगाई। अदालत ने कहा, 'बीते 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए हैं? आपके आवेदन में इसपर कुछ नहीं कहा गया है।' सालवे ने जवाब दिया कि इस काम में तीन महीनों का समय लगता है। उन्होंने कहा, 'मैं गलती नहीं कर सकता, नहीं तो दानदाता मुझपर केसकर देंगे।'
बेंच में शामिल जस्टिस खन्ना ने कहा, 'सभी जानकारियां सीलबंद लिफाफों में हैं और आपको केवल लिफाफों को खोलना है और जानकारी देनी हैं।'
एडवोकेट ने कहा, 'मेरे पास इस बात की पूरी जानकारी है कि किसने बॉन्ड खरीदा और जानकारी यह भी है कि पैसा कहां से आया। अब मुझे खरीदने वालों के नाम भी डालने हैं। नामों का बॉन्ड नंबर के साथ मिलान भी किया जाना है।'
इसपर सीजेआई ने कहा, 'यह बताया गया है कि एक साइलो से दूसरे की जानकारी का मिलान करने की प्रक्रिया में समय लगता है। हमने आपको मिलान करने के लिए नहीं कहा है। यह कहकर समय मांगना कि मिलान किया जाना है, यह ठीक नहीं है। हमने आपको ऐसा करने के निर्देश नहीं दिए हैं।'
शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को अपने फैसले में राजनीतिक दलों को चंदा देने की इस योजना (चुनावी बांड) को अपारदर्शी और असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया था। चुनावी बांड' संबंधी सभी विवरण छह मार्च तक चुनाव आयोग के पास नहीं जमा करने पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी।
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