रायपुर। सारी दुनिया 24 मार्च को जब विश्व टीबी दिवस मना रही है, भारत टीबी (तपेदिक) के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे खड़ा है। जन स्वास्थ्य के लिए ...
रायपुर। सारी दुनिया 24 मार्च को जब विश्व टीबी दिवस मना रही है, भारत टीबी (तपेदिक) के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे खड़ा है। जन स्वास्थ्य के लिए यह देश में लंबे समय से चुनौती बनी हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 2022 में भारत में दुनिया में सबसे अधिक तपेदिक (टीबी) के मामले सामने आए, जो वैश्विक बोझ का 27% है, भारत में 2.8 मिलियन (28.2 लाख) दर्ज किए गए। 2022 में टीबी के मामले।
2025 तक टीबी को खत्म करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी दृष्टि इस मुद्दे को व्यापक तौर पर संबोधित करने की सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाती है। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) और टीबी मुक्त भारत अभियान जैसी पहल से, भारत इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा तेजी लाने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। भारत में टीबी का बोझ बढ़ाने वाला एक महत्वपूर्ण कारक तपेदिक और तंबाकू के उपयोग के बीच संबंध है। वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में बड़ी संख्या में लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि भारत तम्बाकू का उपयोग करने वालों की संख्या (268 मिलियन या भारत के सभी वयस्कों का 28.6%) दुनिया भर में दूसरी सबसे बड़ी है। हर साल इनमें से कम-से-कम 1.2 मिलियन तम्बाकू से संबंधित बीमारियों के कारण मर जाते हैं। भारत में लगभग 27% कैंसर तम्बाकू के उपयोग के कारण होते हैं। तंबाकू के उपयोग से होने वाली बीमारियों की कुल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत 182,000 करोड़ रुपये थी, जो भारत की जीडीपी का लगभग 1.8% है। तम्बाकू का धुंआ (सिगरेट, बीड़ी) पीने वालों में टीबी विकसित होने और बीमारी के अधिक गंभीर रूपों का अनुभव होने का खतरा अधिक होता है। इसके अतिरिक्त, दूसरों के धूम्रपान के संपर्क में आने से टीबी के परिणाम खराब हो सकते हैं और उपचार के प्रभावी होने में बाधा आ सकती है। Also Read - शादी से पहले छाया मातम, ट्रैक्टर की चपेट में आए 2 भाइयों की हुई मौत वालंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया की मुख्य कार्यकारी भावना मुखोपाध्याय ने कहा, “इस दोहरे खतरे से निपटने के लिए, तत्काल आवश्यकता है कि तंबाकू नियंत्रण कानूनों को मजबूत किया जाये और तंबाकू उत्पादों पर कराधान बढ़ाया जाये। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध और विज्ञापन पर रोक सहित कड़े तंबाकू नियंत्रण उपायों को लागू करके, भारत टीबी पर तंबाकू के उपयोग के प्रभाव को कम कर सकता है। इससे इस कारण होने वाली मौतें भी कम होंगी। इसके अलावा, व्यक्तियों को तंबाकू का उपयोग छोड़ने तथा टीबी और अन्य संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम करने में सहायता करने के लिए तंबाकू छोड़ने में मदद करने वाली सेवाओं को तत्काल बढ़ाने की आवश्यकता है।''
No comments