बालोद. जिले में गजराज की मौजूदगी से ग्रामीण किसान दहशत में रात गुजारने को मजबूर हैं. दिनभर तो हाथी जंगल में आराम करता है, फिर शाम होते ही ज...
बालोद. जिले में गजराज की मौजूदगी से ग्रामीण किसान दहशत में रात गुजारने को मजबूर हैं. दिनभर तो हाथी जंगल में आराम करता है, फिर शाम होते ही जंगल से रिहायशी इलाके में हाथी आतंक मचाना शुरू कर देता है. जिन्हें वन विभाग और ग्रामीणों द्वारा सायरन बजाकर लाइट की रोशनी दिखाकर वहां से भगाया जाता है.
जिले में पिछले तीन सालों से लगातार हाथियों की मौजूदगी बनी हुई है. जिसमें लगभग 34 हाथियों का एक दल महाराष्ट्र का रुख कर गया. तो वहीं एक दंतैल हाथी अब भी जिले के गुरुर, दल्ली राजहरा और डौंडी वन परीक्षेत्र ग्रामों में लगातार विचरण कर रहे हैं. साथ ही खेत और बाड़ियों में लगे केला और गन्ना सहित अन्य फैसलो को नुकसान पहुंचा रहे. दिन के उजाले में तो गजराज जंगल की ओर रुक कर जाते हैं. लेकिन शाम होते ही रिहायशी क्षेत्र में लौट आते हैं. जिसके चलते ग्रामीणों में दहशत है. वर्तमान में बालोद जिले में एक हाथी मौजूद है जो कभी मंडी में पहुंचे धान को खाता है तो कभी गांव में लगी गन्ने की फसल तो कभी केले की फसल तो कभी घरों को तोड़ ग्रामीणों के साथ शासन द्वारा लिए धान को खा लेते हैं.
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक इन 3 सालों में गजराज के हमले से 5 ग्रामीण की मौत हुई है, तो वहीं एक शख्स घायल हुआ है. इसके अलावा 1074 लोगों की फसल का नुकसान, 108 मकान, 3 पशु और 154 अन्य संपत्ति का नुकसान हुआ है. जिसके लिए सरकार और विभाग द्वारा 1 करोड़ 51 लाख 94 हजार 134 रुपए का भुगतान किया गया.
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