नये साल में तीन बार चलेगा रेडियो दंतेवाड़ा,धनीकरका के हिड़मा अपनी मीठी मुस्कान के साथ हौले से अपने रेडियो पर फ्रीक्वेंसी सेट करते हैं। ...
नये साल में तीन बार चलेगा रेडियो
दंतेवाड़ा,धनीकरका के हिड़मा अपनी मीठी मुस्कान के साथ हौले से अपने रेडियो पर
फ्रीक्वेंसी सेट करते हैं। उधर से गोंडी में आवाज आती है। 90.4 फ्रीक्वेंसी
पर यह सामुदायिक रेडियो स्टेशन है। आप इसमें गोंडी लोकगीत सुन सकते हैं।
इसके बाद कितने ही सुमधुर गोंडी गीतों का सिलसिला शुरू हो जाता है। ईमली
पेड़ के नीचे गुनगुनी धूप में सल्फी का आनंद लेते हुए अपने लोकगीतों को
रेडियो में सुनना, इससे ज्यादा सुखद हिड़मा के लिए क्या हो सकता है। कुछ देर
बाद रेडियो स्टेशन पर गोंडी और हल्बी में समाचार आते हैं। समाचार समाप्त
होते हैं। आखिर हिस्सा मौसम का है। अभी बरसात नहीं है इसलिए हिड़मा इसे नहीं
सुनते हैं और बाजार के लिए निकल जाते हैं। अब रेडियो झोले में है। हाट
बाजार में खरीदी पूरी होने के बाद जब गांव वाले मित्रों के साथ लांदा
पिएंगे तो फिर रेडियो आन करेंगे।
जी हां, कम्युनिटी रेडियो ने दंतेवाड़ा के जनजातीय बाहुल्य गांवों में
मनोरंजन का संसार बदल कर रख दिया है। इन्हें घूमना अच्छा लगता है तो रेडियो
हमेशा साथ है। अब तो पॉकेट रेडियो भी बाजार में मिल जाते हैं तो कहीं भी
घूम फिर रहे हों, रेडियो लगा दिया। बहुत से गोंडी गीत तो अभी भी प्रचलन में
है लेकिन लोग उन गोंडी और हल्बी गीतों को भी सुन रहे हैं जो भुलाए जा चुके
हैं। अपने बचपन के दौर में इन्हें सुना होगा और अब सुन रहे हैं। इसके साथ
ही रेडियो यह भी बता रहा है कि विकास के मामले में दंतेवाड़ा कितना आगे निकल
गया है। नये बच्चे कितना तरक्की कर रहे हैं फिर हिड़मा जैसे लोगों को यह भी
संतोष तो होता ही है कि हमारे हाथों में भी रेडियो है और इसकी फ्रिक्वेंसी
भी हम ही तय कर रहे हैं।
दंतेवाड़ा जिले में शासन की महत्वाकांक्षी योजना कम्युनिटी रेडियो समुदाय को
और यहां की स्थानीय प्रतिभा को नया आवाज देने जा रही है। समुदाय के लिए
समुदाय द्वारा संचालित रेडियो स्टेशन की स्थापना की गयी है। दंतेवाड़ा जिले
में शासन की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत क्षेत्र के विकास कार्य किए जा रहे
हैं, इससे लोगों के जीवन में गुणात्मक सुधार आया है। दंतेवाड़ा जिला जो
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, यह क्षेत्र पुरातात्विक स्थलों एवं सांस्कृतिक
रूप से समृद्ध है इस क्षेत्र की पुरातात्विक स्थलों संस्कृति लोक नृत्य
लोक गीत के संरक्षण एवं संवर्धन और प्रशासन की समस्त योजनाओं को
हितग्राहियों तक प्रसारित करने के लिए कम्युनिटी रेडियो की स्थापना की जा
चुकी है, जिसमें जिले के स्थानीय भाषा में जिले के समस्त योजनाओं समाचार
हल्बी, गोंडी भाषा में लोकगीत एवं मौसम से संबंधित समस्त विषयों का प्रसारण
किया जाएगा। जिसके लिए भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से 90.4
की फ्रीक्वेंसी प्राप्त हुई है। समस्त विभागों की योजनाओं की रिकॉर्डिंग
किए जा चुके हैं और प्रसारण प्रारंभ हो गया है। नए वर्ष 2023 से तीन समय
में सुबह के समय, स्कूल आंगनबाड़ी के लंच के समय और सायं कालीन 6 से 8 में
रेडियो का प्रसारण किया जाएगा।
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