ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के राशि परिवर्तन का महत्व है। ग्रहों के गोचर से लोगों के जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक असर देखने को मिलता है। दे...
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के राशि परिवर्तन का महत्व है। ग्रहों के गोचर से लोगों के जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक असर देखने को मिलता है। देवगुरु बृहस्पति 23 मार्च को गोचर होने जा रहे हैं। इसका मतलब ये है कि सूर्य से दूर होने की वजह से ये पूरी तरह शक्ति के साथ अपना असर दिखाते हैं। वैदिक ज्योतिष में गुरु को सबसे शुभ और सकारात्मक परिणाम देने वाला माना जाता है। गुरु के प्रभाव के आय और धर्म में वृद्धि होती है।
मेष राशि:- इन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति 9वें और 12वें भाव के स्वामी हैं। लेकिन ये कुंभ राशि यानि आपके 11वें स्थान में उदित होंगे। इस स्थान को आय का स्थान कहा गया है। इसका सीधा अर्थ ये है कि आपको आय संबंधी सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। अगर आपकी कुंडली में गुरु अच्छी या मजबूत स्थिति में है और आपको रोजगार या व्यवसाय में बड़ा फायदा हो सकता है। इस अवधि में आपकी किसी ना किसी तरह आय बढ़ेगी और आय के नए मार्ग खुलेंगे। आपने कहीं निवेश किया है या करनेवाले हैं, तो ये लाभ कमाने का सही समय है।
वृषभ राशि:- वृषभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और यह उनके दसवें भाव यानी कर्म भाव में उदित हो रहे हैं। ये स्थान रोजगार, सम्मान, अधिकार और राजकीय सहयोग का माना जाता है। इस अवधि में इस राशि के लोग चाहे नौकरीपेशा हों या व्यवसायी, हर क्षेत्र में अपना बेहतर प्रदर्शन करेंगे। नौकरी पेशा वालों को प्रमोशन मिल सकता है या सैलरी में अच्छी वृद्धि हो सकती है। व्यवसाय में भी नये अवसर मिलेंगे जिससे आपकी आय में लंबे समय तक बढ़ोतरी होगी।
मिथुन राशि:-इस राशि के जातकों के लिए बृहस्पति सातवें और दसवें भाव का स्वामी है और यह उनके नौवें भाव यानी भाग्य स्थान में उदित हो रहे हैं। इस राशि के जातकों के लिए गुरु शुभ हैं, क्योंकि वो दो केन्द्र स्थान के स्वामी हैं। इसके अलावा नवें भाव के कारक ग्रह भी हैं। ऐसे में गुरु के नवें भाव में उदित होने से इस राशि के जातकों का भाग्य चमकेगा और इसका लाभ उन्हें जीवन से सभी क्षेत्रों में होगा। उन्हें रोजगार, व्यवसाय, प्रणय संबंध, धार्मिक कार्य सभी मामलों में भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। आपके लिए निवेश करने के लिए ये सही समय है।
सिंह राशि:-सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पांचवें और आठवें भाव का स्वामी है और यह उनके सातवें भाव में उदित होगा। ये स्थान दांपत्य जीवन का होता है। ऐसे में आपका दांपत्य जीवन बेहतर होगा और जीवनसाथी के साथ संबंध और मजबूत होंगे। किसी भी काम में एक दूसरे का भरपूर सहयोग प्राप्त होगा। बृहस्पति का सातवें स्थान में उदय होना इस बात का भी संकेत है कि आपकी पत्नी की आय बढ़ेगी। अगर आप शादी के लिए बेहतर रिश्ते की तलाश में हैं, तो मनमुताबिक कोई प्रस्ताव भी मिल सकता है।
तुला राशि:- तुला राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और छठे भाव का स्वामी है और यह उनके पांचवें भाव में उदित हो रहा है। आपके त्रिकोण भाव में उदित होने के कारण इस राशि के जातकों को इसका शुभ परिणाम मिलेगा। पांचवां स्थान संतान, शिक्षा, रचनात्मकता से जुड़ा है। ऐसे में शिक्षा, कला और संगीत से जुड़े लोगों को विशेष फायदा होगा। किसी भी फील्ड में अगर आपने कुछ नया सोचा है, तो उससे आपकी आय बढ़ सकती है। गुरु की सप्तम दृष्टि आय भाव पर भी होगी, इसलिए अंततः इसका नतीजा आय के रुप में सामने आएगा।
मकर राशि:-मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी है और यह उनके दूसरे भाव में उदित होगा। दूसरे भाव को धन और वाणी का भाव कहा गया है। इस दौरान आपको अचानक धन लाभ हो सकता है। व्यापार में कोई डील फाइनल हो सकती है, जिसका लाभ आपको भविष्य में मिलेगा। मार्केटिंग, वकील व शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों को विशेष लाभ हो सकता है।
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