छत्तीसगढ़ में औषधीय पौधों के संरक्षण व संवर्धन सहित इसके कृषिकरण को बढ़ावा देते हुए इसे शीघ्र हर्बल राज्य के रूप में पहचान दी जानी है। वन एवं ...
छत्तीसगढ़ में औषधीय पौधों के संरक्षण व संवर्धन सहित इसके कृषिकरण को बढ़ावा देते हुए इसे शीघ्र हर्बल राज्य के रूप में पहचान दी जानी है। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने आज राजधानी के शंकर नगर स्थित निवास कार्यालय में आयोजित छत्तीसगढ़ आदिवासी, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड की समीक्षा बैठक में उक्ताशय के निर्देश दिए। बैठक में प्रमुख सचिव वन श्री मनोज पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी सहित विभाग के समस्त उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में औषधीय पौधों के बाजार सूचना आधार पर प्रजातियों का चयन, विपणन, नर्सरी विकास, क्लस्टर निर्माण तथा औषधीय पौधों का कृषिकरण और वनों से संग्रहण व संरक्षण आदि बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान वन मंत्री श्री अकबर ने राज्य में विनाश विदोहन पद्धति से औषधीय पौधों का कृषिकरण और वनों से इसका संग्रहण व संवर्धन सहित स्थानीय समुदाय तथा वनवासियों को जोड़कर उन्हें रोजगार तथा आय के साधन उपलब्ध कराने पर विशेष जोर दिया। बैठक में इसके कृषि गतिविधि होने के कारण अब औषधीय पौधों पर जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के संबंध में भी आवश्यक चर्चा हुई।
बैठक में जानकारी दी गई कि छत्तीसगढ़ आदिवासी, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अंतर्गत संचालित कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य राज्य में वनों के अंदर औषधीय पौधों का संरक्षण, संवर्धन, विपणन व स्थानीय समुदाय को आर्थिक लाभ पहुंचाना और वनों के बाहर औषधीय पौधों का कृषिकरण, मांग एवं आपूर्ति का आकलन एवं कृषकों के लिए आय के स्रोत उपलब्ध कराना है। साथ ही परंपरागत ज्ञान का संरक्षण के अंतर्गत राज्य में पारंपरिक स्वास्थ पद्धति के ज्ञान का प्रचार-प्रसार, वैद्यों की पहचान एवं क्षमता विकास, परंपरागत ज्ञान का अभिलेखीकरण, परंपरागत उपचारकर्ताओं के ज्ञान को पेंटेंट कराना और उपचार केन्द्रों की स्थापना भी है। इसके अलावा औषधीय पौधों के विपणन के लिए प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना, उत्पादों के निर्यात एवं योजना बनाना, अनुसंधान, सर्वेक्षण तथा नीति बनाना आदि कार्य शामिल हैं।
बैठक में बोर्ड के भविष्य की योजनाएं के तहत बताया गया कि राज्य के कुल वन क्षेत्रों में से लगभग एक प्रतिशत अर्थात 60 हजार हेक्टेयर रकबा में औषधीय पौधों का सघन रोपण भी किया जाना है। इसके अलावा 10 हजार एकड़ निजी भूमि पर कृषकों द्वारा औषधीय पौधों का कृषिकरण किए जाने की योजना है। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज श्री संजय शुक्ला, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) श्री पी.व्ही. नरसिंग राव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन अनुसंधान एवं विस्तार श्री अतुल शुक्ला, छत्तीसगढ़ आदिवासी, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री जे.ए.सी.एस. राव तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी कैम्पा श्री व्ही. श्रीनिवास राव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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