दुर्ग जिले के धमधा के रास्ते में लगे हुए बसनी गाँव की सड़क अब फलों और सब्जी की दुकान से गुलजार रहती है, गाँव की बाड़ी से उपजे देशी फलों का आ...
दुर्ग जिले के धमधा के रास्ते में लगे हुए बसनी गाँव की सड़क अब फलों और सब्जी की दुकान से गुलजार रहती है, गाँव की बाड़ी से उपजे देशी फलों का आकर्षण यहाँ मुसाफिरों को रोक लेता है और शायद ही कोई यहाँ से खरीदी किये बगैर आगे बढ़ता हो। इस रास्ते में व्यवसाय कर रहे दर्जन भर से अधिक दुकानों की सफलता का दरवाजा एक महिला पेमिन निषाद ने खोला। पेमिन ने शासन की सक्षम योजना का लाभ उठाया। पचास हजार रुपए से फलों की दुकान आरंभ की। ये दुकान उस समय आरंभ की जब यह सड़क सूनी रहती थी, लेकिन जिंदगी में आगे बढ़ना था बगैर सहारे के अपना परिवार चलाना था। आज बिल्कुल बगल से दूसरी दुकान भी आरंभ कर दी है। जब फल और सब्जी खरीदने लोग रूकेंगे तो चाय भी पीने रूकेंगे और इसके लिए उन्होंने होटल भी आरंभ कर दिया। यह सब छोटी सी शुरूआत केवल पचास हजार रुपए से हुई। एक दिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पेमिन के पास आई और कहा कि देखो तुम्हें अपने पैरों पर खड़े होना है और अपने परिवार को मजबूती देनी है। शासन की एक योजना है सक्षम नाम की, इसके लिए विधवा, परित्यक्ता अथवा 45 वर्ष से अधिक आयु की अविवाहित स्त्री पात्र हितग्राही हैं। किसी तरह की ज्यादा औपचारिकताओं की जरूरत नहीं। ब्याज केवल 3 प्रतिशत और आराम से 5 साल तक किश्तों में चुकाते रहो।
पेमिन ने बुद्धिमत्ता दिखाई अपने व्यवसाय की शुरूआत के लिए धमधा-दुर्ग सड़क को चुना, यह बाड़ियों के पास की जगह थी। शिवनाथ नदी के किनारे की बाड़ियों के कलिंदर, पपीता, खीरा, भुट्ठा उन्होंने बेचने आरंभ किया। गर्मियों में तो बिक्री खासी बढ़ गई। पेमिन ने बताया कि कभी-कभी तो 20 हजार रुपए तक के फल भी बेच लिये। फिर दुर्ग से फल मंगवाने भी आरंभ किया। चुकंदर जैसे फलों पर ध्यान दिया। इसमें खून बढ़ता है और इसकी खासी डिमांड होती थी, इसलिए चुकंदर भी रखना आरंभ कर दिया। अब सड़क के किनारे दर्जन भर दुकानें हैं और इस सड़क से गुजरने वाले लोग अमूमन यहाँ खरीदी करते ही हैं। लाकडाउन में दो महीने व्यवसाय बंद रहा लेकिन किश्त चुकाने में किसी तरह की दिक्कत पेमिन को नहीं आई।ऐसी ही चमकदार कहानी ग्राम हिर्री की श्रीमती नीरा यादव की है। पति की मृत्यु के पश्चात उन्होंने पान की दुकान चलाई। फिर आटा चक्की आरंभ की। किसी ने बताया कि सक्षम योजना के माध्यम से मिनी राइस मिल खोलने के लिए मदद मिल सकती है। निर्णय पर तुरंत कार्यान्वयन किया। अब हिर्री ही नहीं, टेमरी, बिरेझर जैसी नजदीकी बस्तियों से भी लोग उनके मिनी राइस मिल में पहुँचते हैं।
सक्षम योजना से आर्थिक रूप से सबल हुई महिलाओं की चमकदार कहानियाँ यह साबित कर रही हैं कि महिलाओं में अनूठी उद्यमशीलता है और थोडा अवसर मिलने पर वे असीम आर्थिक संभावनाओं की राह खोल सकती हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन ने बताया कि बीते वर्ष 97 लाख रुपए के ऋण 258 व्यक्तिगत रूप से महिलाओं को और समूहों को छत्तीसगढ़ महिला कोष के माध्यम से बांटे गये। महिलाओं ने इसका बेहतरीन उपयोग किया है और शहरों तथा गांवों में उद्यमशीलता की मिसाल रच रही हैं।
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