देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते ऑक्सीजन की कमी , वैक्सीनेशन की सुस्त रफ्तार समेत अन्य मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई रोजाना चल...
देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के
चलते ऑक्सीजन की कमी, वैक्सीनेशन की सुस्त रफ्तार समेत अन्य मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
रोजाना चल रही है. अब इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर
अति उत्साह में फैसले ना लेने की सलाह भी दे डाली है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे
में सरकार ने कहा है कि केंद्र की टीकाकरण नीति में न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत
नहीं है. इस हलफनामे में केंद्र सरकार ने अस्पतालों में बेड के इंतजाम से लेकर देश
में ऑक्सीजन की सप्लाई और दवाओं की उपलब्धता तक अलग-अलग मुद्दों पर कोर्ट के सामने
जानकारी रखी है.
अति उत्साह में लिया गया फैसला काफी नुकसानदायक
साबित हो सकता है- केंद्र
केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट
में दायर इस हलफनामे में कहा गया कि अति उत्साह में लिया गया कोई भी फैसला काफी
नुकसानदायक साबित हो सकता है. हलफनामे में कहा गया है कि अगर ऐसा कोई भी फैसला
बिना किसी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक या अनुभवी लोगों की सलाह के लिया जाता है तो उसके विपरीत परिणाम भी
सामने आ सकते हैं.
हालांकि इसी दौरान केंद्र सरकार ने
यह भी माना है कि यह वैश्विक महामारी है और ऐसे हालात में न्यायपालिका को
कार्यपालिका द्वारा उठाए जा रहे कदमों और लिए जा रहे फ़ैसलों पर भरोसा करना चाहिए
क्योंकि पूरी दुनिया के लिए यह हालात अप्रत्याशित है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में
दायर अपने हलफनामे में अपनी वैक्सिनेशन नीति का बचाव किया है. कोर्ट ने केंद्र से
पूछा था कि केंद्र वैक्सीन की 100 प्रतिशत खरीद खुद क्यों नहीं कर
रहा? इसके जवाब में केंद्र ने कहा है कि उसने 50 प्रतिशत वैक्सीन की खरीद खुद करने
की नीति बहुत सोच-विचार कर बनाई है.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने
कहा है-
* केंद्र सरकार ने 45 साल से अधिक लोगों को मुफ्त में वैक्सीन लगाने का जो फैसला लिया है वह सामने
आया आंकड़ों के आधार पर लिया है. क्योंकि सामने आए आंकड़ों के मुताबिक कोरोना
संक्रमण से कुल मौतों में से 84 फीसदी मौतें 45 साल से ज्यादा उम्र वालों की हुई हैं.
* 45 साल से अधिक उम्र के लोगों पर खतरा
अधिक है. उन्हें प्राथमिकता देते हुए उनके लिए राज्यों को मुफ्त वैक्सीन दी जा रही
है. इसके लिए कुल वैक्सीन उत्पादन का 50 प्रतिशत केंद्र खरीद रहा है.
* 18-44 साल की उम्र के लोगों के लिए राज्य
और निजी क्षेत्र वैक्सीन खरीद रहे हैं. केंद्र ने वैक्सीन कंपनियों से बात कर कीमत
कम करवाई.
* सभी राज्यों ने अपने नागरिकों को
मुफ्त वैक्सीन देने की नीति तय की है. इसलिए, केंद्र की तरफ से सारा वैक्सीन
खरीद कर राज्यों को न देने से नागरिकों का कोई नुकसान नहीं. केंद्र सरकार ने बताया
है कि कुल वैक्सीनेशन में से 75 फ़ीसदी हिस्सा केंद्र और राज्यों
के पास जाएगा वहीं 25 फीसदी निजी हॉस्पिटल के पास जिससे कि जिन लोगों
के पास पैसे की दिक्कत नहीं है वह अगर चाहे तो निजी अस्पतालों में जाकर भी टीका ले
सकें. इससे केंद्र और राज्यों का बोझ भी थोड़ा कम होगा.
* केंद्र ने अपने इस हल्का में बताया
है कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन कंपनियों को वैक्सीन बनाने में कोई आर्थिक मदद नहीं
दी है. सीरम इंस्टीट्यूट को दिए गए 1732.50
करोड़ रुपए
और भारत बायोटेक को दिए गए 787.50 करोड़ रुपए वैक्सीन खरीद के एडवांस
के तौर पर दिए गए थे. केंद्र को राज्यों से कम कीमत मिलनी की वजह यही है कि उसने
ज़्यादा खरीद की है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने
केंद्र की टीकाकरण नीति पर सवाल उठाए थे. इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने भी
हलफनामा दायर कर मांग की थी कि राज्यों को केंद्र से पूरा वैक्सीन मुफ्त में मिलना
चाहिए. केंद्र के जवाब से साफ है कि उसका वैक्सीन की शत-प्रतिशत खरीद खुद करने मे
इरादा नहीं है.
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