शासन ने प्रदेश के तीन शहरों , राजधानी रायपुर , भिलाई और दुर्ग में स्माॅग टाॅवर लगाने का फैसला लिया है। राजधानी में वायु प्रदूषण की गंभीर स...
शासन ने प्रदेश के तीन शहरों, राजधानी रायपुर, भिलाई और दुर्ग में स्माॅग टाॅवर लगाने का फैसला लिया है। राजधानी में वायु
प्रदूषण की गंभीर स्थिति के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार से
प्रस्ताव मांगा था। इसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से डिटेल रिपोर्ट भेजी गई
थी। इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र ने बड़ी राशि जारी कर दी है। इसके अंतर्गत राजधानी
में टाटीबंध और तेलीबांधा जैसे बड़े चौराहों जहां ज्यादा धूल उड़ती है, वहां स्मॉग टॉवर लगाए जाएंगे।
इसके लिए 100 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार है और पहली किस्त के तौर पर केंद्र सरकार ने 50 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए हैं। इस योजना के तहत तीनों शहरों में स्माॅग टावर
के साथ-साथ भीड़भरे चौराहों पर एयर प्यूरीफायर और फौव्वारे लगेंगे, ताकि ये धूल-धुअां खींच सकें और हवा शुद्ध हो। रायपुर में बड़े स्माॅग टाॅवर
टाटीबंध चौक और तेलीबांधा चौक पर लगाने का प्रस्ताव है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ नगरीय निकाय प्रदूषण कम करने के लिए
काम करेंगे।
फुहार से कम करेंगे धूल
टाटीबंध चौक पर पहले फव्वारा लगाया गया था। इसी तरह के करीब 20 मिस्ट फाउंटेन लगाए जाएंगे, जिससे जिन स्थानों पर बड़े पैमाने पर धूल उड़ते
हैं, उन्हें रोका जा सके। इसी तरह रोड वॉशिंग के लिए स्वीपिंग गाड़ियों की भी खरीदी
की जा रही हैं, जो रात में सड़कों की धूल साफ करेगी। हालांकि एक बार ये मशीनें फेल हो चुकी हैं, पर इसे बिलासपुर में फिर से काम के लायक बनाया गया है, जिसके बाद रायपुर व दुर्ग-भिलाई के लिए खरीदने की तैयारी है। सड़कों पर जो भी
खाली स्थान में पौधे लगाए जाएंगे।
रायपुर और दुर्ग-भिलाई शामिल
हवा का प्रदूषण कम करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। 15 वें वित्त आयोग ने 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में
जिन्हें चिन्हित किया है, उनमें रायपुर व दुर्ग-भिलाई शामिल हैं।
-सौमिल रंजन चौबे, सीईओ सूडा
स्माॅग टाॅवर और प्यूरीफायर की जगह तय करने
शुरू होगी स्टडी, दो विशेषज्ञ
नियुक्त
राजधानी में स्माॅग टाॅवर और एयर प्यूरीफायर जैसे हवा साफ करनेवाले विशाल
उपकरणों को लगाने से पहले प्रदेश के पर्यावरण संरक्षण मंडल और नगरीय प्रशासन विभाग
ने आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी भिलाई से एक-एक विशेषज्ञ नियुक्त किया है, जो शहर का सर्वे कर यह पता लगाएंगे कि कहां स्माॅग टाॅवर और कहां एयर
प्यूरीफायर लगाना जरूरी होगा। दोनों विशेषज्ञ अगले कुछ माह में राजधानी की हवा में
मौजूद प्रदूषक तत्वों का अध्ययन कर यह फाइनल कर लेंगे कि उपकरण कहां लगने चाहिए।
रायपुर में एयर क्वालिटी इंडेक्स अधिकांशतया उतना खराब नहीं है, इसलिए माना जा रहा है कि यहां ज्यादा ऊंचे और विशाल टावर या प्यूरीफायर की
जरूरत नहीं होगी, मंझौले साइज के उपकरणों से काम चल जाएगा।
स्मॉग टॉवर, एयर प्यूरीफायर और 20 मिस्ट फाउंटेन जैसे उपकरण हवा के प्रदूषण को कम करने के कृत्रिम उपाय हैं।
अगले कुछ हफ्ते तक जो स्टडी होगी, उसमें शहर के क्षेत्रफल और प्रदूषक फैलाने
वाले उद्योग-धंधे, वाहनों की संख्या, निर्माण गतिविधियां इत्यादि का अध्ययन शामिल है।
अध्ययन में यह बात भी शामिल होगी कि किन जगहों पर केवल प्राकृतिक उपाय जैसे
ज्यादा से ज्यादा ग्रीनरी विकसित करने और सड़कों के किनारे पेड़-पौधे लगाने से
प्रदूषम में कमी आएगी। यही नहीं, किन इलाकों में सड़कों की सफाई स्वीपिंग मशीन
आदि से करवाने से राहत मिल
जाएगी। निगम और पर्यावरण संरक्षण विभाग के जानकारों का कहना है कि योजना पर
प्रारंभिक काम शुरू हो गया है। देश में कुछ बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और चंडीगढ़ वगैरह में एयर प्यूरीफायर नजर आने लगे हैं। दिल्ली में विशाल
स्माॅग टाॅवर का डिजाइन फाइनल हो चुका है।
हवा खींचकर साफ करता है स्माॅग टावर
अफसरों के अनुसार स्मॉग टावर एक बहुत बड़ा एयर प्यूरीफायर है। यह अपने आसपास
से प्रदूषित हवा या उसके कणों को सोख लेता है। फिर वापस पर्यावरण में साफ हवा
छोड़ता है। घर पर लगनेवाले आम प्यूरीफायर की तरह यह बिजली से चलते हैं। इनमें से
कुछ को सोलर पावर से भी चलाया जा सकता है, लेकिन यह टावर की क्षमता पर निर्भर है। साल 2016 में चीन में जो एयर प्यूरीफायर लगाया गया था, वह सात मीटर लंबा था। यह एक घंटे में 29,000 m3 हवा साफ करता है। इसके बाद चीन में ही 100 मीटर का स्मॉग टावर लगाया गया था। दावा किया
जाता है कि यह 16 मिलियन m3 हवा (गर्मियों में) प्रतिदिन साफ करता है। वहीं सर्दियों में यह आंकड़ा 8 मिलियन m3 होता है। अफसरों का कहना है कि दिल्ली में 40 फीट ऊंचा एयर प्यूरीफायर बनाया था। दावा किया
गया था कि यह दिनभर में 32 मिलियन m3 हवा साफ करता है।
प्यूरीफायर 500 मीटर तक हवा साफ करने में सक्षम
विशेषज्ञों का कहना है कि देश के कई मेट्रो में प्रदूषण कम करने के लिए एयर
स्मॉग टावर व एयर प्यूरीफायर लगाया गया है। प्यूरीफायर 500 मीटर के रेडियस में हवा से पर्टिकुलेट मैटर्स-2.5 और पर्टिकुलेट मैटर्स-10 (पीएम) को सोखेगा, जिससे हवा साफ होगी और एयर क्वालिटी इंडेक्स तय सीमा यानी 50 प्वाइंट या इससे भी कम रहेगा।
एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से 80, ये ज्यादा बुरा नहीं
राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स अलग-अलग जगहों पर 50 से लेकर 80 रहता है। मौसम का भी इसपर प्रभाव पड़ता है। ठंड के समय हवा मंे शुष्कता अधिक
होने पर प्रदूषण का मात्रा अधिक होती है। गर्मी और बरसात में यह कम रहता है। इस
रायपुर प्रदूषण निवारण मंडल के एनआईटी में लगे उपकरण में इस साल मार्च में 14 से 21 मार्च के बीच एयर क्वालिटी इंडेक्स न्यूनतम 26.03
से अधिकतम 55.29 रहा है।
केंद्र ने इस बड़े प्रोजेक्ट के लिए फंड जारी कर दिया है। यहां रायपुर में
प्रदूषण का स्तर, लगने वाले उपकरणों की उपयोगिता इत्यादि की
मानिटरिंग आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी भिलाई के एक्सपर्ट करेंगे। उसके बाद तय होगा कि
राजधानी में कहां और कितनी क्षमता के उपकरण लगेंगे। –
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