होली के खुशनुमा माहोल की हर साल की तरह इस बार भी होली के त्यौहार को रंगीन बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। होली के खुशनुमा रंग कई बार केमिकल औ...
होली के खुशनुमा माहोल की हर साल की
तरह इस बार भी होली के त्यौहार को रंगीन बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। होली के
खुशनुमा रंग कई बार केमिकल और मिलावट की वजह से एक बुरा अनुभव छोड़ जाते हैं। इसे
देखते हुए छत्तीसगढ़ में महिला समूहों द्वारा हर्बल गुलाल तैयार कर होली को
सुरक्षित और खुशहाल बनाने की तैयारी की जा रही है। इससे महिलाओं के स्वावलंबन की
राह खुलने के साथ इकोफ्रेंडली होली से लोग रंगों के साइड इफेक्ट से बचेंगे।
हर्बल गुलाल
बनाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर द्वारा आदिवासी उप योजना अंतर्गत ग्राम
कुलगांव, गढ़पिछवाड़ी, बेवरती, पटौद लुलेगोंदी एवं अन्य ग्राम के स्व-सहायता
समूह की महिलाओं को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। होली का
त्योहार आने वाला है जिसमें लोग रंग गुलाल का उपयोग करते हैं,
जो
विभिन्न रसायनिक सामग्रियों का उपयोग करते हुये बनाये जाते हैं,
जिससे
त्वचा में एलर्जी, आंखों में इंफेक्शन,
दमा,
अस्थमा,
खुजली
जैसे कई प्रकार की समस्याएं हो जाती हैं। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि
विज्ञान केन्द्र कांकेर द्वारा प्राकृतिक पदार्थो जैसे कत्था,
चंदन,
पालक,
लालभाजी,
मेंहदी,
धवई,
पलाश,
चुकंदर,
हल्दी
एवं गुलाबजल आदि का उपयोग करते हुए त्वचा के लिए सुरक्षित हर्बल गुलाल बनाने की
विधि समूह की महिलाओं को सिखाई जा रही है। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ कोमल सिंह
केराम के मार्गदर्शन में महिलाओं ने स्वयं हर्बल गुलाल बनाकर प्रायोगिक प्रशिक्षण
प्राप्त किया। हर्बल गुलाल की बाजार में बढ़ती हुई मांग को देखते हुए बड़ी मात्रा
में इसे तैयार किया जायेगा जिससे समूह की महिलाओं को रोजगार मिलेगा साथ ही गुलाल
के रंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी नहीं हांेगे।
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