रायपुर , आज ओयेस्टर मशरूम का उत्पादन उन ग्रामीण महिलाओं के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है , जो कभी मात्र खेती-किसानी किया करती थी। उनके ...
रायपुर, आज ओयेस्टर मशरूम का उत्पादन उन ग्रामीण महिलाओं के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है, जो कभी मात्र खेती-किसानी किया करती थी। उनके पास घर और खेती-बाड़ी के अलावा रोजगार की अन्य गतिविधियां नही थी। स्व-सहायता समूह में शामिल हाने के बाद उनमें एक नया आत्म विश्वास जगा है। महिलाएं सफलतापूर्वक मशरूम की खेती कर अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स़्त्रोत बन गई हैं।
बस्तर संभाग के सभी जिलों में विभिन्न मशरूम
की प्रजातिया बहुतायत से पायी जाती है, जिसे स्थानीय समुदाय के लोग बड़े चाव से खाते है। इन मशरूमों को स्थानीय बोली ‘‘फुटु या छाती‘‘ के नाम से भी जाना जाता है। इन मशरूम की प्रजातियों को स्थानीय भाषा में ‘‘माने‘‘ ‘‘डाबरी फुटु‘‘
‘‘भात छाती‘‘ ‘‘टाकु‘‘ ‘‘मजुर डुंडा‘‘
‘‘हरदुलिया‘‘ ‘‘पीट छाती‘‘ ‘‘कोडरी सिंग फुटु‘‘
‘‘कड़ छाती‘‘ कहते है। मशरूम की ये प्रजातिया केवल वर्षा
और शरद् ऋतु में ही मिलती हैं। इन मशरूमों को वनों से संग्रहण करना स्थानीय
ग्रामीण महिलाओं का पसंदीदा काम होता है। महिलाओं की रूचि को देखते हुए उन्हें अब
मशरूम उत्पादन से जोड़कर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की पहल कोण्डागांव जिले में
शुरू कर दी गई है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (विहान) के अंतर्गत ग्रामीण
महिलाओं को ‘‘ओयेस्टर मशरूम‘‘ के उत्पादन का गहन प्रशिक्षण देकर उन्हें मशरूम उत्पादन को व्यवसाय के रूप में
अपनाने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है।
विकास खण्ड
फरसगांव के ग्राम बड़ेडोंगर-भैसाबेड़ा गांव की दन्तेश्वरी स्वसहायता की महिलाओं ने
मशरूम उत्पादन एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस स्वसहायता समूह की अध्यक्ष सोनादई
बताती है कि उनके समूह में 13 सदस्य महिलायें है। इस कार्य के लिए बिहान द्वारा उन्हें मशरूम शेड निर्माण
हेतु 50
हजार तथा मशरूम
बीज (स्पौन) पॉलीथिन एवं दवाईओं हेतु 50 हजार इस तरह कुल एक लाख अनुदान दिया गया है। इस साल उनके समूह द्वारा 256 किलो मशरूम उत्पादन किया। जिसमें से सुखायें
गये 5
किलो मशरूम पर
उन्हें 51
हजार 2 सौ रूपयें का मुनाफा हुआ इसके अलावा हाल ही
में 8
किलो सुखे मशरूम
(8
सौ रूपयें प्रति
किलो) के दर से बिक्री किया है।
पोषक तत्वों का
खजाना है ओयेस्टर मशरूम
ओयेस्टर मशरूम
में मौजूद कई विटामिन्स एवं माइक्रोन्युट्रीयन्स इम्युनिटी बढ़ने में सहायक होते है
ं इसका आकार सीप की तरह होता है। इस कारण इसे ओयेस्टर मशरूम कहते है। इस मशरूम
मेें एक अध्ययन के अनुसार विटामिन सी, और विटामिन बी के अलावा 1.6 से 2.5
प्रतिशत तक
भरपूर प्रोटीन होता है। इसके अलावा हमारे शरीर के सुचारू रूप से काम करने के लिए
आवश्यक पोटेशियम,
सोडियम, फॉस्फोरस, लोहा,
कैल्शियम जैसे
जरूरी तत्व भी इसमें मौजूद होते है।
ओयेस्टर मशरूम
के सेवन से लाभ
ओयेस्टर मशरूम
में बहुत कम कैलोरी और लगभग शून्य प्रतिशत वसा होती है। अतः यह वजन कम करने में
सहायक है। इसके अलावा यह हृदय रोग एवं एनीमिया से बचाव, शरीर कोशिकाओं के रखरखाव एवं मरम्मत में यह
राम बाण है। महिलाओं के गर्भावस्था में जब शरीर को पोषण की आवश्यकता होती है, ऐसी स्थिति में इसका सेवन लाभदायक होता है।
इससे गर्भस्थ शिशु को कुपोषण से बचाने में मदद मिलती है।
ओयेस्टर मशरूम
के उत्पादन के लिए सही तापमान
ओयेस्टर मशरूम
के उत्पादन के लिए मध्यम तापमान (20 से 30
डिग्री
सेल्सियस) आर्दता (55
से 70 प्रतिशत) की आवश्यकता होती है। ओयेस्टर मशरूम
के लिए सबसे अच्छा मौसम मार्च अप्रेल से सितम्बर और अक्टूबर और निचले क्षेत्रों
में सितम्बर अक्टूबर से मार्च अप्रेल तक होता है।
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