प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि केन्द्र की एनडीए सरकार की हठधर्मिता से देश के लाखों किसान पिछले पंद्रह दिनों से सड़क पर...
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि केन्द्र की एनडीए सरकार की हठधर्मिता से देश के लाखों किसान पिछले पंद्रह दिनों से सड़क पर हैं। नए कृषि कानूनों को लेकर उठ रहे सवालों और किसानों की मांगों को सरकार हल्के में लेकर अहंकार में डूबी हुई है। छत्तीसगढ़ के किसानों ने अहंकार में डूबी भारतीय जनता पार्टी को जिस तरह सबक सिखाते हुए कांग्रेस को समर्थन देकर उसे सत्ता से उखाड़ फेंका उसी तरह किसान विरोधी कानून अगर वापस नहीं होता है तो भारतीय जनता पार्टी-एनडीए की सरकार को देश से उखाड़ फेंक देंगे, यह संकल्प किसानों का है। किसानों से उनकी धैर्य की परीक्षा लिए बगैर हठधर्मिता छोड़कर मांगों पर तत्काल अमल करना चाहिए। कृषि क्षेत्र में लाए गए तीन सुधारवादी कानूनों के विरोध में किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। कई दौर की वार्ता के बाद भी अभी तक सहमति नहीं बनी है। किसानों को आशंका है कि इन सुधारों के बहाने सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर फसलों की सरकारी खरीद और वर्तमान मंडी व्यवस्था से पल्ला झाड़कर कृषि बाजार का निजीकरण करना चाहती है। किसान संशंकित हैं कि नए कानून से 41,000 मंडियों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और सब बंद हो जाएंगे।
अगर इन दावों को सच मान लिया जाए तो सरकार किसानों की आशंकाओं को दूर करने में अब तक असफल क्यों है?
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान मंडी और एमएसपी पर फसलों की सरकारी क्रय की व्यवस्था इन सुधारों के कारण किसी भी तरह से कमज़ोर ना पड़े। अभी मंडियों में फसलों की खरीद पर 8.5 प्रतिशत तक टैक्स लगाया जा रहा है परंतु नई व्यवस्था में मंडियों के बाहर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इससे मंडियों से व्यापार बाहर जाने और कालांतर में मंडियां बंद होने की आशंका निराधार नहीं है। अतः निजी क्षेत्र द्वारा फसलों की खरीद हो या सरकारी मंडी के माध्यम से, दोनों ही व्यवस्थाओं में टैक्स के प्रावधानों में भी समानता होनी चाहिए। किसान निजी क्षेत्र द्वारा भी कम से कम एमएसपी पर फसलों की खरीद की वैधानिक गारंटी चाहते हैं। किसानों से एमएसपी से नीचे फसलों की खरीद कानूनी रूप से वर्जित हो। किसानों की मांग है कि विवाद निस्तारण में न्यायालय जाने की भी छूट मिले। सभी कृषि जिंसों के व्यापारियों का पंजीकरण अनिवार्य रूप से किया जाए। छोटे और सीमांत किसानों के अधिकारों और जमीन के मालिकाना हक का पुख्ता संरक्षण किया जाए। प्रदूषण कानून और बिजली संशोधन बिल में भी उचित प्रावधान जोड़कर किसानों के अधिकार सुरक्षित किए जाएं। सरकार को चाहिए कि वह एमएसपी को निजी क्षेत्र में भी बाध्यकारी बनाने की किसानों की इस मुख्य मांग को तत्काल मान ले जिससे आंदोलनकारी किसान अपने घर लौट जाएं।
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