राज्य में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता एवं स्टेबिलिटी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शासन द्वारा निर्माण कार्यों में प्रयुक्त कांक्रीट की कम...
राज्य में
निर्माण कार्यों की गुणवत्ता एवं स्टेबिलिटी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शासन
द्वारा निर्माण कार्यों में प्रयुक्त कांक्रीट की कम्प्रेेसिव स्ट्रेन्थ की सोनरेब
विधि से निगरानी शुरू की गई है। इसके दायरे में प्रारंभिक दौर में 10 करोड़ रूपए से अधिक के लागत वाले कामों को रखा
गया है।
मुख्य तकनीकी
परीक्षक सर्तकता ने इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय को प्रेषित अपने
पत्र में लिखा है कि निर्माण कार्यों के निरीक्षण के दौरान यह देखने को मिलता है, कि कांक्रीट क्यूब का परीक्षण, कांक्रीट की मात्रा की अनुरूप नहीं किया जाता
है। सिविल इंजीनियरिंग कार्यों में स्ट्रक्चर के स्टेबिलिटी हेतु कांक्रीट कार्य
की गुणवत्ता की निगरानी जरूरी है। इस संबंध में तकनीकी परीक्षक आर. पुराम ने बताया
कि संगठन में गुणवत्ता परीक्षण हेतु अत्याधुनिक उपकरण है। जिससे बीम, कॉलम एवं स्लैब की गुणवत्ता की जांच नॉन
डिस्कट्रेक्टिव टेस्ट उपकरण के माध्यम से किया जा रहा है। ऐसे कार्य जिनकी
अनुबंधित राशि 10
करोड़ रूपए से
अधिक है,
उस निर्माण
कार्य के कांक्रीट की गुणवत्ता का नियंत्रण सोनरेब विधि से किया जाएगा। इस विधि से
कांक्रीट की गुणवत्ता जांच करने के लिए 20 नग क्रांकीट क्यूब के सेंपल की जानकारी प्राप्त की जाएगी, जिसके लिए संगठन द्वारा प्रपत्र तैयार किया
गया है। सेंपलिंग के पश्चात् संगठन की टीम निर्माण स्थल पर पहुंचकर एनडीटी उपकरण
एवं क्यूब टेस्टिंग मशीन से कांक्रीट क्यूब की गुणवत्ता की जांच करेगी। इससे
प्रयुक्त कांक्रीट के कम्प्रेसिव स्ट्रेन्थ में किसी भी तरह की कमी सहजता से पता
लगाया जा सकेगा।
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