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अमित शाह ने कहा: 2026 के बाद नक्सलवाद इतिहास बनकर रह जाएगा

  नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्री गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 50 नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने पर खुशी जताई है। उन्होंने नक्स...

 


नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्री गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 50 नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने पर खुशी जताई है। उन्होंने नक्सलियों के सरेंडर करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति स्पष्ट है कि जो भी नक्सली हथियार छोड़कर विकास का मार्ग अपनाएंगे, उनका पुनर्वास कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 31 मार्च 2026 के बाद देश में नक्सलवाद केवल इतिहास बनकर रह जाएगा, यह हमारा संकल्प है।

गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, बहुत हर्ष का विषय है कि बीजापुर (छत्तीसगढ़) में 50 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया। हिंसा और हथियार छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल होने वालों का मैं स्वागत करता हूं। पीएम मोदी की नीति स्पष्ट है कि जो भी नक्सली हथियार छोड़कर विकास का मार्ग अपनाएंगे, उनका पुनर्वास कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा।

उन्होंने आगे लिखा, 'बाकी लोगों से भी मैं पुनः अपील करता हूं कि वे हथियार त्यागकर मुख्यधारा में आएं। 31 मार्च 2026 के बाद देश में नक्सलवाद केवल इतिहास बनकर रह जाएगा, यह हमारा संकल्प है।

बता दें कि बीजापुर में 50 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से 14 पर 68 लाख रुपए का इनाम घोषित था। इनमें पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन और अन्य माओवादी संगठनों के सदस्य शामिल थे।

पुलिस अधीक्षक डॉ. जीतेन्द्र यादव ने बताया कि विभिन्न नक्सली समूहों के सदस्यों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है, जिनमें पीएलजीए के सदस्य, जनताना सरकार के अध्यक्ष, केएएमएस अध्यक्ष, सीएनएम सदस्य और अन्य महत्वपूर्ण नेता शामिल हैं। डॉ. यादव ने इस सफलता का श्रेय बीजापुर पुलिस, डीआरजी, सीआरपीएफ, एसटीएफ और अन्य सुरक्षा बलों को दिया।

उन्होंने बताया कि 1 जनवरी 2024 से अब तक छत्तीसगढ़ में कुल 656 माओवादी गिरफ्तार किए गए हैं, 346 ने आत्मसमर्पण किया है, और 141 माओवादी मुठभेड़ों में मारे गए हैं। 2025 में अब तक 157 माओवादी गिरफ्तार हुए हैं और 157 ने आत्मसमर्पण किया, वहीं 83 माओवादी मुठभेड़ में मारे गए। उन्होंने अपील की कि जो माओवादी अभी भी आंदोलन में शामिल हैं, वे सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाएं, ताकि वे शांति से जी सकें।

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